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कालसर्प दोष क्या होता है ?

Kaal Sarp Dosh: जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं तो ज्योतिष शास्त्र इस योग को काल सर्प दोष का नाम दिया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को शुभ फल देने वाला नहीं माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष लग जाता है उसे सफलता बहुत देरी से मिलती है। ऐसे व्यक्ति को हर काम में बाधा का सामना करना पड़ता है। कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति जैसे ही सफलता को अपनी ओर आते देखता है वैसे ही सफलता उससे दूर होनी शुरू हो जाती है।

क्यों होते हैं इससे प्रभावित – किसी भी व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प दोष लगने की वजह राहु-केतु हैं। यह दोनों राक्षस थे जिन्होंने अमृत पीकर अमरता प्राप्त की थी। लेकिन बताया जाता है कि अमृत पीने के बावजूद भी यह स्वभाव से पहले जैसे ही रहे। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह चारों ओर से ग्रहों को घेर कर बैठ जाते हैं उसे मानसिक अशांति, रोग, दोष, जादू-टोना और हड्डियों के रोगों को झेलना पड़ता है।

इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को कई कोशिशों के बाद भी सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। उस व्यक्ति के हर काम में बाधा आ जाती है। इन सब योगों की वजह से कई बार लोग मानसिक अशांति महसूस करने लगते हैं। बताया जाता है कि कुंडली में राहु-केतु के बलवान होने से व्यक्ति को डिप्रेशन का शिकार भी होना पड़ सकता है।